पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह
– फोटो : twitter.com/capt_amarinder
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केंद्रीय बजट 2021 से पंजाब को खेती-किसानी को लेकर काफी आस है। किसान आंदोलन के बीच सोमवार को पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर पंजाब की खासी निगाह रहने वाली है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार केंद्र को पंजाब को पारंपरिक खेती के लिए एक विशेष पैकेज देना समय की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों को भी अब गेहूं, धान की खेती से निकालकर स्थानीय पारंपरिक कृषि उत्पादों (बाजरा, दालें, चना, कपास) से जोड़ना होगा।
दस महीने कोरोना से जूझने और अब पिछले तीन माह से कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन से पंजाब अब तक 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान झेल चुका है। इस बार केंद्रीय बजट को लेकर आर्थिक मंदी से जूझ रहे पंजाब को क्या हासिल होगा, इसको लेकर पंजाब के किसान और यहां के लोग काफी आस लगाए हुए हैं।
पंजाब विश्वविद्यालय के कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बजट में पंजाब को पारंपरिक खेती से जोड़ने के लिए एक विशेष पैकेज मिलना चाहिए। इस पैकेज के जरिए पंजाब में किसानों को गेहूं, धान की खेती से निकालने के लिए वृहद जागरूकता शिविरों का आयोजन और पारंपरिक खेती से जोड़ने के लिए पारंपरिक कृषि उत्पादों की पैदावार और उनके विक्रय के लिए पुख्ता कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलने के साथ ही पंजाब के पर्यावरण सुधार में भी काफी राहत मिल पाएगी।
केंद्रीय बजट 2021 से पंजाब को खेती-किसानी को लेकर काफी आस है। किसान आंदोलन के बीच सोमवार को पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर पंजाब की खासी निगाह रहने वाली है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार केंद्र को पंजाब को पारंपरिक खेती के लिए एक विशेष पैकेज देना समय की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों को भी अब गेहूं, धान की खेती से निकालकर स्थानीय पारंपरिक कृषि उत्पादों (बाजरा, दालें, चना, कपास) से जोड़ना होगा।
दस महीने कोरोना से जूझने और अब पिछले तीन माह से कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन से पंजाब अब तक 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान झेल चुका है। इस बार केंद्रीय बजट को लेकर आर्थिक मंदी से जूझ रहे पंजाब को क्या हासिल होगा, इसको लेकर पंजाब के किसान और यहां के लोग काफी आस लगाए हुए हैं।
पंजाब विश्वविद्यालय के कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बजट में पंजाब को पारंपरिक खेती से जोड़ने के लिए एक विशेष पैकेज मिलना चाहिए। इस पैकेज के जरिए पंजाब में किसानों को गेहूं, धान की खेती से निकालने के लिए वृहद जागरूकता शिविरों का आयोजन और पारंपरिक खेती से जोड़ने के लिए पारंपरिक कृषि उत्पादों की पैदावार और उनके विक्रय के लिए पुख्ता कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलने के साथ ही पंजाब के पर्यावरण सुधार में भी काफी राहत मिल पाएगी।
केंद्रीय बजट में पंजाब को केंद्र सरकार की तरफ से पारंपरिक खेती से जोड़ने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। वर्तमान हालात को देखते हुए केंद्र सरकार पंजाब को खेती किसानी को लेकर बड़ा राहत पैकेज दे सकती है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पंजाब में पारंपरिक खेती के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर काम करना चाहिए। – सतीश वर्मा, चेयर प्रोफेसर, आरबीआई
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