पंजाब की झांकी।
– फोटो : फाइल फोटो
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परेड में इस बार पंजाब की झांकी शाश्वत मानवीय नैतिक मूल्यों, धार्मिक सह अस्तित्व और धार्मिक स्वतंत्रता को बरकरार रखने की खातिर अपना महान जीवन कुर्बान करने वाले श्री गुरु तेग बहादुर जी के सर्वोच्च बलिदान को दृश्यमान करेगी।
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शुक्रवार को फुल ड्रेस रिहर्सल से पहले पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि झांकी के आखिरी हिस्से में गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब को दिखाया गया है, जो उस जगह स्थापित किया गया है जहां भाई लक्खी शाह वंजारा और उनके पुत्र भाई नगाहिया ने गुरु साहिब के बिना शीश के शरीर का संस्कार करने के लिए अपना घर जला दिया था।
पंजाब की झांकी को लगातार पांचवें साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए चुना गया है। 2019 में पंजाब की झांकी ने शानदार उपलब्धि दर्ज करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया था। तब जलियांवाला बाग हत्याकांड की इस झांकी ने सब तरफ वाहवाही बटोरी थी। इससे पहले 1967 और 1982 में भी पंजाब की झांकी तीसरे स्थान पर रही थी।
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गौरतलब है कि श्री गुरु तेग बहादुर का जन्म एक अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था। मुगलों के विरुद्ध लड़ाई के दौरान बहादुरी दिखाने पर नौवें पातशाह को उनके पिता श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने तेग बहादुर (तलवार के धनी) का नाम दिया। ‘हिंद दी चादर’ के तौर पर जाने जाते महान दार्शनिक, आध्यात्मिक रहनुमा और कवि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने 57 श्लोकों सहित 15 रागों में गुरबाणी रची, जिसको दसवें पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल किया।
नौवें पातशाह ने श्री गुरु नानक देव जी के मानवता के प्रति प्रेम, शांति, समानता और भाईचारे के शाश्वत संदेश का प्रचार करने के लिए दूरदराज तक यात्राएं की। औरंगजेब की कट्टर धार्मिक नीति और जुल्म का सामना कर रहे कश्मीरी पंडितों की गाथा सुन कर गुरु साहिब ने मुगल बादशाह को चुनौती दी। इस्लाम कबूलने से इनकार करने पर मुगल बादशाह के आदेश पर नौवें पातशाह को 11 नवंबर, 1675 को चांदनी चौक, दिल्ली में शहीद कर दिया गया।