दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष एवं पूर्व एसीपी वेदभूषण का कहना है कि राकेश टिकैत अपनी जिद्द पर अड़े रहे, मगर उन किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस होते हैं, जिन्होंने दिल्ली पुलिस पर हमला किया है तो हमारे जवानों को शर्मिंदा होना पड़ सकता है। इस तरह के कदम से पुलिस का हौसला टूट जाएगा। दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी के दिन अपनी जान पर खेलकर राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा की थी।
बता दें कि 2019 के दौरान जब तीस हजारी अदालत में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच मारपीट की घटना हुई थी तो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली पुलिस कर्मी अपने मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए थे। यह दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली ऐसी घटना थी, जब पुलिस कर्मियों को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कराने के लिए धरने पर बैठना पड़ा हो।
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर सड़क पर बैठे जवानों ने तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। उसके बाद दिल्ली पुलिस की एक विशेष टीम को मामले की जांच के लिए लगाया था। साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस केस की जांच पड़ताल के लिए एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। अभी तक इस केस में कार्रवाई करने जैसा कुछ नहीं दिखा।
रिटायर्ड एसीपी वेदभूषण के अनुसार, किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में जो उपद्रव मचा था, उसके तहत आरोपियों के खिलाफ 44 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। लगभग 123 आरोपी पुलिस हिरासत में हैं। बाकी कई आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर ईनाम भी रखा गया है। वेदभूषण ने सवाल उठाते हुए कहा, जब लाल किला पर उपद्रव हो रहा था, पुलिस कर्मियों पर हमले किए जा रहे थे तो उस वक्त राकेश टिकैत ने कहा था कि ये आदमी किसान नहीं हैं। उन्होंने लाल किला घटना की निंदा भी की थी।
यहां तक दूसरे किसान नेताओं ने भी इस घटना से अपना पल्ला झाड़ लिया था। सभी किसान नेता एक ही बात कह रहे थे कि लाल किला पर हुई यह घटना निंदनीय है। अगर इसमें कोई किसान है तो उसे इस आंदोलन से अलग किया जाता है। अब ऐसा क्या हो गया है कि राकेश टिकैत अपनी बात से बदल गए। वे कह रहे हैं कि सरकार के साथ बातचीत तभी होगी, जब तक गिरफ्तार किसानों को रिहा नहीं कर दिया जाता।
चाहे केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार या अदालत हो, इस तरह के मामलों में एफआईआर वापस नहीं होनी चाहिए। वेदभूषण के अनुसार, हालांकि एफआईआर तो अदालत के जरिए ही रद्द हो सकती है। अदालत सभी तरह के तथ्यों की जांच करती है। दिल्ली सरकार को इस मामले में सख्ती दिखानी चाहिए। यहां पर कोई राजनीतिक दल यह न देखे कि उसे फलां प्रदेश में चुनाव लड़ना है, इसलिए किसानों पर दर्ज मामले वापस ले लें। यदि ऐसा होता है तो दिल्ली पुलिस का उत्साह टूट जाएगा। वह दिल्ली पुलिस, जो आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक की सुरक्षा करती है, अपनी नजरों में ही शर्मिंदा हो जाएगी।
दिल्ली पुलिस के आला अफसरों से गुजारिश है कि वे इस केस से जुड़े आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए अपने मातहतों का हौसला बढ़ाएं। दिल्ली पुलिस, किसी भी व्यक्ति या संस्था के दबाव में न आकर क़ानून के मुताबिक आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे।