Saturday, April 20, 2024
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Farmers Keeping An Eye On Bjp Leaders Public Relations Exercise To Counter Farmers Protest – किसान आंदोलन: भाजपा नेताओं के जनसंपर्क पर किसानों का ‘पहरा’, राजनीतिक चोट पहुंचा सकती है ये रणनीति

jayant chaudhary, naresh tikait
– फोटो : अमर उजाला (फाइल)

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किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए कई किसान नेता एक साथ कई तरह की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस बार किसानों ने खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के जनसंपर्क पर ‘पहरा’ बैठा दिया है। मतलब, भाजपा नेता अपने इलाकों में लोगों के बीच सुगमता से नहीं पहुंच पा रहे हैं। इन राज्यों में किसान नेताओं ने भौतिक विज्ञान के नियम ‘नॉर्मल स्ट्रैस’ के आधार पर रणनीति तय की है। इसमें किसी वस्तु पर चारों तरफ से दबाव डाला जाता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि किसान नेताओं का यह दबाव भाजपा को राजनीतिक चोट पहुंचा सकता है। इन तीन राज्यों में अधिकांश हिस्सों में भाजपा नेताओं को घर और बाहर, दोनों जगह पर घेरा जा रहा है। नरेश टिकैत ने कह दिया है कि कोई भी व्यक्ति, अगर भाजपा नेता को कहीं पर आमंत्रित करता है, तो उसे सौ लोगों का खाना तैयार कराना होगा। हरियाणा और पंजाब में भाजपा नेताओं को लोगों के बीच जाना जोखिम भरा लगने लगा है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार और भाजपा नेता किसी भी तरह से मान नहीं रहे हैं। वे आंदोलन को तोड़ना चाह रहे हैं। उनकी सोच बात करने की नहीं है। हम पहले भी यह बात बता चुके हैं कि केंद्र सरकार, किसानों के आंदोलन को कमजोर समझने की भूल न करे। अब यह आंदोलन देश के सभी हिस्सों में जा पहुंचा है। किसान, सरकार की सारी चालों को समझ रहे हैं। भाजपा नेताओं का ऐसा हाल हो जाएगा कि वे लोगों के सामने मुंह दिखाने लायक ही नहीं बचेंगे। अभी देख लो, कई राज्यों में इनके नेता सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं जा पा रहे हैं। आम लोग उनसे दूरी बनाने लगे हैं। किसान, आने वाले समय में चारों तरफ से सरकार पर इतना दबाव डालेंगे कि उसे तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि दर्शन पाल कहते हैं कि केंद्र सरकार किसानों का मजाक बना रही है। वह अभी तक यह सोच रही है कि ये तो कुछ प्रदेशों के किसानों का आंदोलन है। हमने पहले भी कहा है, किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ता रहेगा। राकेश टिकैत पहले ही कह चुके हैं कि हमारे पास समय और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। एक किसान अपने खेत संभालने जा रहा है तो दूसरा आंदोलन में भाग लेने के लिए तैयार हो जाता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नरेश टिकैत कह चुके हैं कि भाजपा नेताओं को बुलाना अब महंगा पड़ेगा। हरियाणा और पंजाब में भाजपा नेताओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कई जगहों पर तो पुलिस से पूछकर या उसे साथ लेकर बाहर निकलने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। जब सामान्य जनता किसी आंदोलन में शामिल होती है तो सरकार पर ‘नॉर्मल स्ट्रैस’ लागू होता है। चारों तरफ से दबाव डाला जाता है। किसान आंदोलन में अब ये फार्मूला इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे भाजपा को बड़ी राजनीतिक चोट लग सकती है, इसे लेकर भ्रम नहीं पालना चाहिए।

सार

किसान नेताओं ने भौतिक विज्ञान के नियम ‘नॉर्मल स्ट्रैस’ के आधार पर रणनीति तय की है। इसमें किसी वस्तु पर चारों तरफ से दबाव डाला जाता है…

विस्तार

किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए कई किसान नेता एक साथ कई तरह की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इस बार किसानों ने खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के जनसंपर्क पर ‘पहरा’ बैठा दिया है। मतलब, भाजपा नेता अपने इलाकों में लोगों के बीच सुगमता से नहीं पहुंच पा रहे हैं। इन राज्यों में किसान नेताओं ने भौतिक विज्ञान के नियम ‘नॉर्मल स्ट्रैस’ के आधार पर रणनीति तय की है। इसमें किसी वस्तु पर चारों तरफ से दबाव डाला जाता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि किसान नेताओं का यह दबाव भाजपा को राजनीतिक चोट पहुंचा सकता है। इन तीन राज्यों में अधिकांश हिस्सों में भाजपा नेताओं को घर और बाहर, दोनों जगह पर घेरा जा रहा है। नरेश टिकैत ने कह दिया है कि कोई भी व्यक्ति, अगर भाजपा नेता को कहीं पर आमंत्रित करता है, तो उसे सौ लोगों का खाना तैयार कराना होगा। हरियाणा और पंजाब में भाजपा नेताओं को लोगों के बीच जाना जोखिम भरा लगने लगा है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार और भाजपा नेता किसी भी तरह से मान नहीं रहे हैं। वे आंदोलन को तोड़ना चाह रहे हैं। उनकी सोच बात करने की नहीं है। हम पहले भी यह बात बता चुके हैं कि केंद्र सरकार, किसानों के आंदोलन को कमजोर समझने की भूल न करे। अब यह आंदोलन देश के सभी हिस्सों में जा पहुंचा है। किसान, सरकार की सारी चालों को समझ रहे हैं। भाजपा नेताओं का ऐसा हाल हो जाएगा कि वे लोगों के सामने मुंह दिखाने लायक ही नहीं बचेंगे। अभी देख लो, कई राज्यों में इनके नेता सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं जा पा रहे हैं। आम लोग उनसे दूरी बनाने लगे हैं। किसान, आने वाले समय में चारों तरफ से सरकार पर इतना दबाव डालेंगे कि उसे तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि दर्शन पाल कहते हैं कि केंद्र सरकार किसानों का मजाक बना रही है। वह अभी तक यह सोच रही है कि ये तो कुछ प्रदेशों के किसानों का आंदोलन है। हमने पहले भी कहा है, किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ता रहेगा। राकेश टिकैत पहले ही कह चुके हैं कि हमारे पास समय और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। एक किसान अपने खेत संभालने जा रहा है तो दूसरा आंदोलन में भाग लेने के लिए तैयार हो जाता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नरेश टिकैत कह चुके हैं कि भाजपा नेताओं को बुलाना अब महंगा पड़ेगा। हरियाणा और पंजाब में भाजपा नेताओं की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कई जगहों पर तो पुलिस से पूछकर या उसे साथ लेकर बाहर निकलने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। जब सामान्य जनता किसी आंदोलन में शामिल होती है तो सरकार पर ‘नॉर्मल स्ट्रैस’ लागू होता है। चारों तरफ से दबाव डाला जाता है। किसान आंदोलन में अब ये फार्मूला इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे भाजपा को बड़ी राजनीतिक चोट लग सकती है, इसे लेकर भ्रम नहीं पालना चाहिए।

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