नई दिल्ली: अब हम आपको मीडिया की एक बुरी आदत का अहसास करवाएंगे. आप अक्सर महसूस करते होंगे कि एक खबर आती है. जोर-शोर से चलती है और फिर अचानक गायब हो जाती है. आप सोचते हैं कि आखिर क्या हुआ उस मामले पर, लेकिन कोई आपके सवालों का जवाब नहीं देता. लेकिन ZEE NEWS मीडिया की इस भूलने वाली बीमारी का इलाज लेकर आया है.
हम बड़ी खबरों का फाॅलो-अप आपके लिए लेकर आते हैं. आज हम आपको कानपुर के बिकरू गांव के बारे में बताएंगे. ये वही गांव है. जहां इसी वर्ष दो जुलाई की रात को अपराधी विकास दुबे से एनकाउंटर में पुलिस के आठ अधिकारी और सिपाही शहीद हो गए थे. इसके बाद यूपी पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में विकास दुबे (Vikas Dubey) भी मारा गया था. पर इसके बाद क्या हुआ, ये आपको किसी ने नहीं बताया होगा. क्या विकास दुबे (Vikas Dubey) का खौफ खत्म हो गया है? बिकरू (Bikru) गांव में अब क्या हो रहा है? विकास दुबे से जुड़े लोगों का क्या हुआ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब हमारी टीम ने खोजने की कोशिश की है.
अपराध का अपना मनोविज्ञान होता है, जो डर के ऑक्सीजन पर जीता है और अब हम आपको इसी मनोविज्ञान के बारे में बताना चाहते हैं.
अफवाह है कि विकास दुबे जिंदा है…
हमारी टीम जब इस गांव में पहुंची, तो हमें पता चला कि इस गांव में आज भी बहुत से लोगों के बीच ये अफवाह है कि विकास दुबे जिंदा है. लोग ऐसा मानते हैं कि एनकाउंटर (Encounter) में विकास दुबे के पुतले पर गोलियां मारी गई थीं. हमारी ये ग्राउंड रिपोर्ट आज आपको बताएगी कि जिस गांव में विकास दुबे का आंतक फैला हुआ था, वो गांव कैसे आज एक CRIME TOURISM SPOT बन गया है.
ये गलियां कानपुर के बिकरू गांव की हैं, जहां आज भी सन्नाटा पसरा है. ये गांव कुख्यात बदमाश विकास दुबे का है. वही विकास दुबे जिसने दो जुलाई की रात पुलिस की टीम पर हमला कर दिया था. इस हमले में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. दिल दहला देने वाले इस हत्याकांड ने पूरे देश को सन्न कर दिया था. 10 जुलाई 2020 को एक एनकाउंटर में विकास दुबे मारा गया था. लेकिन क्या विकास दुबे की मौत के साथ उसका ख़ौफ़ भी ख़त्म हो गया, इसी का पता लगाने के लिए Zee News कानपुर के बिकरू गांव पहुंची.
5 महीने बाद बिकरू में गांव में थोड़ी बहुत हलचल ज़रूर है लेकिन इस गांव में एक अज़ीब सा सन्नाटा है. विकास दुबे का डर खत्म हो रहा है. इस इलाके के लोगों को विकास दुबे के अत्याचार से राहत मिली है. जब विकास दुबे ज़िंदा था तो इलाके में उसका आतंक इस कदर था कि लोग डर की वजह से अपना रास्ता बदल लेते थे.
आज ये गांव लोगों के लिए पर्यटन स्थल बन गया है. लोग इस गांव में विकास दुबे का घर देखना चाहते हैं. यानी ये गांव आज लोगों की जिज्ञासा बन गया है. वो विकास दुबे और इस गांव के बारे में सब जानना और समझना चाहते हैं.
पुलिस ने उसके पुतले का एनकाउंटर किया?
हमारी टीम ने गांव के लोगों से भी बात करने की कोशिश की. हम हर बात की तह तक गए और इस दौरान हमें जो पता चला वो डरा देने वाला था. ये डर विकास दुबे का ही है. लोगों में आज भी ऐसी अफवाह है कि विकास दुबे मारा नहीं गया था. पुलिस ने उसके पुतले का एनकाउंटर किया था. यानी ये अफवाह आज भी कुछ लोगों को डरा रही है.
अपराध का मनोविज्ञान
अपराध का अपना मनोविज्ञान होता है, जो डर के ऑक्सीजन पर जीता है. ये डर अब भी बिकरू गांव में पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है. विकास दुबे के आसपास के कई घरों में आज भी ताला बंद है, इस घटना के बाद डर की वजह से कई परिवार गांव छोड़कर गायब हैं.
Zee News की टीम को देखकर गांव का एक व्यक्ति विकास दुबे के घर के पास पहुंचा. उसने बताया कि विकास दुबे ने उसकी ज़मीन पर भी ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा करा दिया था.
हम ऐसे कई लोगों से मिले, जिन्होंने बताया कि उनके रिश्तेदार भी अब उनके घर नहीं आना चाहते क्योंकि उन्हें इस गांव में डर लगता है.
जब इस तरह का कोई बड़ा अपराध होता है तो उसका आसपास के लोगों पर क्या असर पड़ता है, उसे भी हमने समझने की कोशिश की. हम विकास दुबे के घर के पास रहने वाली एक महिला से मिले. आरोप है कि इनकी छतों पर ही खड़े होकर विकास दुबे के गैंग के सदस्यों ने पुलिस वालों पर गोलियां चलाई थीं.
हमारी मुलाकात विकास दुबे के पड़ोसियों से भी हुई. विकास दुबे के पड़ोसी पहली बार कैमरे पर 2-3 जुलाई की रात की पूरी घटना बता रहे हैं कि कैसे कई घंटों तक गोलियां चली थीं.
आज भी पुलिस बिकरू गांव में मौजूद रहती है
कानपुर का ये छोटा सा गांव आज भी काफ़ी कुछ कहता है. विकास दुबे का टूटा-फूटा घर अब किसी खंडहर जैसे हो गया है. गोलियों के निशान कई मकानों की दीवारों पर देखे जा सकते हैं. हमारी टीम ने इस मकान को ड्रोन की तस्वीरों से समझने की कोशिश की. लोगों का डर भले ही खत्म हो रहा हो. लेकिन आज भी पुलिस बिकरू गांव में मौजूद रहती है.
अब हम आपको इस केस से जुड़ी कुछ अहम जानकारी बताना चाहते हैं. पुलिस, विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार चुकी है. 22 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. विकास दुबे का भाई दीपू दुबे अब भी फरार चल रहा है और SHO विनय तिवारी समेत तीन पुलिसकर्मी जेल में बंद हैं. इन पर विकास दुबे की मदद का आरोप है.
सरकार ने अभी तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना के बाद एक SIT का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है. लेकिन सरकार ने अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है. हालांकि जब हम इस पूरे मामले पर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार रहे थे तो हमें ये जानकारी मिली कि SIT ने 90 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. आरोप है कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने विकास दुबे की मदद की थी. SIT ने पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव को लेकर कई सिफारिशें की हैं, ताकि भविष्य में विकास दुबे जैसे अपराधियों को सिस्टम का संरक्षण न मिल सके.