DNA Analysis: India ranks 94th in 107 countries in terms of hunger in global hunger index | DNA Analysis: अन्न की बर्बादी रोकने का प्रण कब लेगा भारत?

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस एक खतरनाक महामारी जरूर है. लेकिन इसकी मारक क्षमता एक महामारी से बहुत कम है, और उस महामारी का नाम है भूख. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल जितने लोग AIDS, TB और मलेरिया से नहीं मरते उससे ज्यादा लोग भूख की वजह से मारे जाते हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल भूख की वजह से 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

शुक्रवार को वर्ल्ड फूड डे (World Food Day) के मौके पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स के भी आंकड़े जारी किए गए हैं और इस इंडेक्स में भारत की स्थिति को देखकर आपको बहुत पीड़ा होगी, गुस्सा आएगा और अगर आप भोजन की बर्बादी करते हैं तो आपको शायद शर्म भी आएगी.
 
107 देशों में भारत 94वें नंबर पर 
2020 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कुल 107 देशों को शामिल किया गया है और इसमें भारत 94वें नंबर पर है. जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और यहां तक की तंजानिया, बुर्किना फासो और इथियोपिया जैसे पिछड़े हुए और छोटे-छोटे देशों की स्थिति भी भारत से बेहतर है. इस रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के कुपोषण के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है. पिछले साल भारत इस इंडेक्स में 117 देशों की लिस्ट में 102 नंबर पर था. यानी इस मामले में भारत की स्थिति नहीं सुधर रही है.

45% फल-सब्जियां हो जाती हैं बेकार 
संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक पूरी दुनिया में पैदा होने वाला 33 प्रतिशत भोजन कभी किसी जरूरतमंद की थाली तक पहुंच ही नहीं पाता है. करीब 45 प्रतिशत फल और सब्जियां लोगों तक पहुंचने से पहले ही बेकार हो जाती हैं. 35 प्रतिशत सी-फूड और 30 प्रतिशत अनाज का भी यही हाल होता है. जबकि 20 प्रतिशत दूध से बने उत्पाद और 20 प्रतिशत मीट भी लोगों का पेट भरने के काम नहीं आता.

हर साल बर्बाद होता है इतना भोजन
एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में बर्बाद होने वाले भोजन का अगर सिर्फ 25 प्रतिशत भी बचा लिया जाए तो दुनिया भर के 82 करोड़ भूखे लोगों का पेट भरा जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल बर्बाद होने वाले भोजन का वजन 130 करोड़ टन से ज्यादा होता है. ये 4 हजार एम्पायर स्टेट बिल्डिंग और 70 लाख ब्लू व्हेल के वजन के बराबर है.

विकसित देश करीब 47 लाख करोड़ रुपये की कीमत का भोजन बर्बाद करते हैं. जबकि विकासशील देशों में 22 लाख करोड़ रुपये का खाना हर साल बर्बाद हो जाता है.

अमेरिका के संस्थापकों में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन (Banjamin Franklin) ने कहा था- मैंने जितने लोगों को भूख से मरते हुए देखा है उससे कहीं ज्यादा लोगों को अधिक भोजन की वजह से मरते हुए देखा है.उन्होंने ये बात आज से 300 वर्ष पहले कही थी. आज भी मोटापा दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है और इस मोटापे की एक बड़ी वजह ये है कि लोगों के खाने की थाली का आकार तो लगातार बड़ा हो रहा है लेकिन लोगों को ये नहीं पता कि उन्हें खुद को स्वस्थ रखने के लिए कैसा भोजन करना है और कैसा भोजन नहीं करना है.

भारतीयों का खान-पान कैसा है
भारत में पोषण का पैमाना तय करने वाली संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (National Institute of Nutrition) ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट का विषय है What India Eats यानी भारतीयों का खान-पान कैसा है? हम आपको ये बताएं कि आपकी थाली में क्या कमी है, उससे पहले आपको ये बता देते हैं कि आपकी थाली में क्या होना चाहिए.

इस रिपोर्ट के मुताबिक दिन भर में एक व्यक्ति को 150 ग्राम फल, 90 ग्राम दाल, अंडे या मांसाहार, 20 ग्राम ड्राई फ्रूटस, 27 ग्राम तेल या घी , 270 ग्राम अनाज , 350 ग्राम हरी सब्जियां और कम से कम 300 मिलीलीटर दूध या दही लेना चाहिए.

इस रिपोर्ट की 4 बड़ी बातें बताते हैं.
– एक व्यक्ति को औसतन एक दिन में 2 हजार कैलोरीज की जरूरत होती है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहरों में एक व्यक्ति 1 हजार 943 कैलोरी और गांवों में 2 हजार 81 कैलोरी लेता है. यानी कैलोरी का गणित तो लगभग पूरा है लेकिन स्वास्थ्य का हिसाब किताब ठीक नहीं है.
– गांवों और शहरों की थाली में एक बड़ा अंतर है. गांवों की थाली में गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का जैसे अनाज करीब 65 प्रतिशत तक होते हैं. जबकि शहरों की थाली में अनाज सिर्फ 51 प्रतिशत होते हैं.
– गांव के मुकाबले शहरों की थाली में फैट और ऑयल की मात्रा करीब दोगुनी है. शहरों में रहने वाले लोग तकरीबन 13 प्रतिशत फैट यानी घी और तेल से बनी चीजें खा रहे हैं इनमें सबसे बड़ा योगदान जंक फूड का है. जबकि गांव के लोगों की थाली में इस तरह के खाने की हिस्सेदारी सिर्फ 7 प्रतिशत होती है.

दिन में आप कितनी कैलोरी लेते हैं? 
आपके मन में भी अक्सर ये सवाल आता होगा कि आप जो खाना खा रहे हैं उसमें कितनी कैलोरीज हैं. इसे आप कुछ ऐसी चीजों के उदाहरण से समझ सकते हैं जो अक्सर आपकी थाली का हिस्सा होती हैं.
– एक रोटी में 80 कैलोरीज होती हैं लेकिन 1 परांठे में रोटी के मुकाबले दोगुनी यानी 150 कैलोरीज होती हैं.
– 250 ग्राम चावल में 170 कैलोरीज, 100 ग्राम दाल में 100 कैलोरीज और 250 ग्राम सब्जी में 170 कैलोरीज होती हैं.
– 1 उबले हुए अंडे में 90 कैलोरीज होती हैं.
– अगर आप कॉर्न फ्लेक्स को कम कैलोरी वाला आहार मानते हैं तो ये जान लीजिए कि 250 ग्राम कॉर्न फ्लेक्स में 220 कैलोरीज होती हैं.
– इसी तरह 250 ग्राम पोहा से 270 कैलोरीज मिलती है.
– 2 इडली में 150 कैलोरीज होती हैं. जबकि एक समोसे में 200 कैलोरीज होती हैं.
– 1 कप चाय में 75 कैलोरीज होती हैं. अगर आप दिन में कई बार चाय पीते हैं तो अब आप कैलोरीज गिन सकते हैं.
– 200 ML कोल्ड ड्रिंक में 150 कैलोरीज और पिज्जा के एक स्लाइस में 200 कैलोरीज होती हैं.
– सिर्फ 100 ग्राम केसर के हलवे में 320 कैलोरीज होती हैं.

भारत में करोड़ों लोग भूखे सोते हैं
एक रिसर्च के मुताबिक भारत के गांवों में 63 प्रतिशत लोग पौष्टिक भोजन नहीं खरीद सकते हैं. यानी देश के गांवों में रहने वाले हर 10 में से 6 व्यक्तियों को पोषक तत्वों वाला आहार नहीं मिलता है. ग्रामीण इलाके में पोषक तत्वों से भरपूर एक आदर्श थाली की कीमत औसतन 45 रुपये होती है. लेकिन गरीबी की वजह से ज्यादातर ग्रामीण इतना भी खर्च नहीं कर पाते. यानी एक तरफ तो भारत में करोड़ों लोग आज भी हर रात भूखे सोते हैं दूसरी तरफ जिन लोगों को भरपेट खाना मिलता है उन्हें ये नहीं पता कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं.

किस समय और कितना खाना खाएं? 
आपको कैसा खाना चाहिए ये तो हमने आपको बताया लेकिन ये खाना आपको किस समय और किस मात्रा में खाना चाहिए ये भी आपको जान लेना चाहिए.
– ब्रेकफास्ट में आप सबसे ज्यादा यानी 800 कैलोरीज तक ले सकते हैं. क्योंकि ये पूरे दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है.
– इसके बाद लंच में आप 600 कैलोरीज ले सकते हैं. इसमें आप रोटी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, और फल ले सकते हैं.
– शाम को नाश्ते में 200 कैलोरीज ली जा सकती हैं. ये जरूरत एक कप चाय और दो बिस्कुट या एक सैंडविच से पूरी हो जाती है.
– डिनर हमेशा हल्का और हेल्दी हो, जिससे आपको सिर्फ 400 कैलोरीज मिले. आपको अपना डिनर रात 8 बजे से पहले कर लेना चाहिए. रात के खाने में रोटी और चावल यानी कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे कम होनी चाहिए.

आयुर्वेद के अनुसार, प्रकृति और सूर्य की रोशनी से हमारे भोजन चक्र का गहरा संबंध है. माना जाता है कि सूर्यास्त के साथ शरीर की फैट जलाने यानी कैलोरी को ऊर्जा में बदलने की शक्ति कम हो जाती है. बदलते लाइफस्टाइल में अगर सूर्यास्त तक भोजन ना भी कर पाएं तो सोने से कम से कम 2 घंटे पहले खाना खाने का नियम जरूर बनाएं. ये अच्छी नींद और सेहतमंद शरीर दोनों के लिए जरूरी है.



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