नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में नर्स यूनियन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाने का आदेश दिया है. कोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने एम्स की याचिका पर अपना फैसला सुनाया और नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रोक लगाने को कहा है.
एम्स प्रशासन की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि नर्सों की मांगों पर विचार किया जा रहा है. एम्स ने कोर्ट से कहा कि covid-19 महामारी का समय है लिहाजा स्ट्राइक पर नहीं जा सकते. गौरतलब है कि एम्स नर्स यूनियन (AIIMS Nursing Union) कल से ही हड़ताल पर है. यूनियन का कहना है कि उनकी कई मांगें हैं, जिन्हें सरकार और एम्स प्रशासन नहीं मान रहे हैं. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है. नर्सों की हड़ताल से दिल्ली के AIIMS में मरीजों की परेशानी बढ़ गई थी. नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि AIIMS प्रशासन बात करने को तैयार नहीं है. इधर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश नहीं मानने वालों पर कार्रवाई होगी.
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नर्स यूनियन का आरोप, 1 माह बीतने पर भी नहीं किया मांगों पर विचार
एम्स नर्सिंग यूनियन (AIIMS Nursing Union) के प्रेजिडेंट हरीश कुमार काजला का कहना है कि वे इस तरह स्ट्राइक पर नहीं जाना चाहते थे. लेकिन 1 महीना बीत जाने के बाद भी सरकार और एम्स (AIIMS) प्रशासन ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया था लिहाजा सारे स्टाफ को स्ट्राइक पर जाना पड़ा. पहले ये स्ट्राइक 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी लेकिन फिर 14 दिसंबर से ही शुरू कर दी लेकिन एक दिन में दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं.
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एम्स के निदेशक ने हड़ताल को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने नर्सों की अचानक शुरू हुई हड़ताल को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में सच्चे नर्सिंग कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते. नर्स यूनियन को भी ऐसे वक्त में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर नहीं जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जैसे फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने कहा था कि सच्चे नर्स कभी अपने मरीजों को नहीं छोड़ते, वैसे ही एम्स के सच्चे नर्स अपने मरीजों को नहीं छोड़ेंगे.