संसद के मानसून सत्र की शुरूआत में ही कई सांसदों और संसद स्टाफ के कोरोना संक्रमित होने की खबरें आई थीं. फिर संसद की कार्यवाहियों के दौरान ये भी देखा गया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना मुश्किल हुआ. बहरहाल, भारत में वर्चुअल संसद की मांग बरकरार रहने के दौरान आपको बताते हैं कि दुनिया में कहां कहां ऐसा हो रहा है. फिर ये भी देखिए कि भारत में इस सिलसिले में क्या चुनौतियां पेश आएंगी.
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यूरोप के कई देशों में वर्चुअल संसदकोरोना के कहर से एक समय में बुरी तरह जूझ रहे यूरोप के कई देशों में संसद की समितियों की बैठकें या सभाएं हाइब्रिड ढंग से करने का फैसला लिया था. यूनाईटेड किंगडम में अप्रैल से ही संसद की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये शुरू हुई थी और ज़ूम वीडियो कॉन्फ्रेंस प्लेटफॉर्म इसके लिए अप्रूव किया गया था. दूसरी तरफ, फ्रांस में भी कई तरह की संसदीय कार्यवाहियों के लिए भी यही तरीका अपनाया गया.
यूके की संसद की तस्वीर.
यहां तक कि, वर्चुअल हाउस ऑफ कॉमन्स नाम से तो एक विकिपीडिया पेज तक बन गया. हाउस ऑफ लॉर्ड्स भी वर्चुअल बैठकेें करता नज़र आया. इसके अलावा, ग्रीा, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, आइसलैंड, लिचेंस्टाइन और रोमानिया जैसे देशों में भी इस प्रैक्टिस की खबरें रहीं.
अमेरिका में भी वीडियो मीटिंग
कोरोना के कहर की शुरूआत में तो अमेरिका में दोनों सदनों यानी हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव और सीनेट की बैठकें स्थगित कर दी गई थीं. इसके बाद अमेरिका ने ‘पेपर हियरिंग’ का उपाय अपनाया था और फिर वर्चुअल बैठकों के लिए ज़ूम के माध्यम से ही बैठकों को हरी झंडी दी थी. कनाडा में हाउस ऑफ कॉमन्स और की कई समितियों की बैठकें वर्चुअली हुईं. यही नहीं, दक्षिण अमेरिका के कई देशों ने भी इस तरह कदम बढ़ाए.
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ब्राज़ील में संसद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये चली और वीडिया के ज़रिये ही बिल पेश किए गए, चर्चा की गई और वोटिंग राउंड व वक्तव्य आदि सब कुछ इसी प्लेटफॉर्म से हुआ. वेनेज़ुएला में संसदीय बैठकें वर्चुअली करने के लिए एक पूरा सिस्टम और गाइडलाइन तय की गई. इसके अलावा, पैराग्वे, बोलिविया, अर्जेंटीना, चिली और क्यूबा जैसे देशों में वर्चुअली संसदीय कार्यवाही हुई.
एशिया और अफ्रीका के देशों ने अपनाई तरकीब
ज़ूम, एमएस टीम्स और सिस्को वेबेक्स जैसे प्लेटफॉर्मों के ज़रिये यूक्रेन में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये संसदीय कार्यवाहियां हुईं. यहां सभी सांसदों को टैबलेट मुहैया कराए गए. चीन में हालांकि कोरोना के कहर के दौरान बैठकें ही स्थगित कर दी गई थीं. थाईलैंड में हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव और सीनेट में कम से कम बैठकें करने के निर्देशों के साथ ही, स्टैंडिंग कमेटियों की बैठकें वर्चुअली हुईं.
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भूटान में गूगल सॉफ्टवेयरों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया गया और कुछ बैठकें पहले की तरह फिज़िकल भी होती रहीं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ. एस्टोनिया, इंडोनेशिया, मालदीव जैसे देशों में भी वर्चुअल मीटिंग की प्रैक्टिस देखी गई.
वहीं, दक्षिण अफ्रीका में सख्त हिदायतों के साथ आनन फानन में नियम तैयार कर नेशनल असेंबली और काउंसिल ऑफ प्रॉविंस को वर्चुअल बैठकें करने को कह दिया गया था क्योंकि यहां कोरोना का कहर और डर दोनों ही काफी ज़्यादा थे. नामीबिया, मोनाको जैसे कुछ और अफ्रीकी देशों ने भी वीडियो बैठकों पर ज़ोर दिया.
दक्षिण अफ्रीका की संसद का चित्र.
अन्य संसदें भी हुईं वर्चुअल
ईरान और मध्य पूर्व के कुछ देशों ने वर्चुअल संसद कार्यवाही की तो ऑस्ट्रेलिया से लेकर न्यूज़ीलैंड तक इस तरह की कोशिशें हुईं. कुवैत जैसे कुछ देशों में सामान्य ढंग से ही संसदीय बैठकें होती रहीं, लेकिन यहां बहुत ज़रूरी होने की शर्तों पर ही बैठकें की गईं.
भारत में वर्चुअल संसद की मांग और स्थितियां
दुनिया के ऐसे कई देशों के हवाले देकर लोक सभा और राज्य सभा में वर्चुअल कार्यवाही किए जाने की मांग रखी गई थी और इस पर विचार भी हुआ था, लेकिन कुछ चुनौतियों के चलते यह फौरन संभव नहीं हो सका. यह बताया गया कि अगर ऐसा कदम उठाया जाना पड़ा तो इसके लिए सबसे पहले दोनों सदनों से इस बारे में तयशुदा कायदे से एक नियमावली पारित की जाना ज़रूरी होगी.
दूसरे, 542 सांसदों वाली लोकसभा और 242 सदस्यों वाली राज्य सभा को पूरी तरह वीडियो के ज़रिये संचालित किए जाने में तकनीकी चुनौतियां पेश आने की बात भी कही गई थी. यह भी विचार किया गया था कि आधे सदस्य फिज़िकली संसद में मौजूद रह सकें और बाकी आधे ऑनलाइन जुड़ सकें. फिलहाल, भारत में इसे लेकर विचार जारी है और अभी कोई नतीजा न निकल पाने के चलते संसद बदस्तूर जारी है, बस सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसी हिदायतें ज़रूर पेश हैं.