जफरयाब जिलानी ने कहा कि अगर हमारी कमेटी सहमत होगी तो हम इस पर पुनिर्विचार याचिका दाखिल करेंगे. यह हमारा अधिकार है और साथ ही सुप्रीम कोर्ट का नियम भी है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने शनिवार को कहा कि वह विवादित जमीन को मंदिर के लिए देने से जुड़े फैसले से असंतुष्ट है और इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा. बोर्ड के सचिव और वकील जफरयाब जिलानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘ फैसले के कुछ बिंदुओं खासकर जमीन देने की बात से हम अंसतुष्ट हैं. हम विचार करेंगे कि पुनर्विचार याचिका दायर करनी हैं या नहीं.’
उन्होंने मस्जिद के लिए पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने को लेकर कहा कि मस्जिद की कोई कीमत नहीं हो सकती. जिलानी ने कहा कि यह मुकदमा किसी की जीत और हार नहीं है और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए.सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें…
– एएसआई की रिपोर्ट में जमीन के नीचे मंदिर के सबूत मिले: सुप्रीम कोर्ट
– विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी गई- CJI
– रामलला को जमीन के लिए ट्रस्ट बनाया जाए- CJI
– मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए- CJI
– सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में योजना बनाए.
– सीजेआई ने कहा कि ट्रस्ट 3 महीने में मंदिर की योजना तैयार करे.
– 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर सरकार का हक रहेगा- सुप्रीम कोर्ट
– संविधान की नजर में सभी आस्थाएं समान हैं- CJI
– कोर्ट आस्था नहीं सबूतों पर फैसला देती है- CJI
– अंदरूनी हिस्सा विवादित है. हिंदू पक्ष ने बाहरी हिस्से पर दावा साबित किया- CJI
– सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन हो या अयोध्या में कहीं भी हो- CJI
– प्राचीन यात्रियों ने जन्मभूमि का जिक्र किया है- सीजेआई
– 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे- CJI रंजन गोगोई
– समानता संविधान की मूल आत्मा है – CJI
– सीजेआई ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा विचार योग्य.
– हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए- सीजेआई
– सीजेआई रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना सरकार का काम है. अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं. 1949 में आधी रात में प्रतिमा रखी गई.
– सीजेआई ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है.
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