ममता बनर्जी की हत्‍या के प्रयास के आरोप से 29 साल बाद बरी हुआ शख्‍स, अब कर रहा ये काम

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नई दिल्‍ली. एक मुकदमा कभी-कभी किसी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल देता है. कुछ ऐसा ही हुआ कोलकाता के रहने वाले लालू आलम के साथ. वह कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्‍सवादी (माकपा-CPM) के नेता रहे हैं. उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मौजूदा मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की हत्‍या के प्रयास का केस चल रहा था. अब 29 साल बाद उन्‍हें कोर्ट ने इस केस से बरी कर दिया है. रिहाई के बाद उन्‍होंने अपना जीवन समाज को समर्पित करने का फैसला लिया है. वह अब झुग्‍गी-झोपड़ी और बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्‍चों को पढ़ा रहे हैं. उनके मुताबिक यह उनकी युवावस्‍था में राजनीति में शामिल होने का प्रायश्चित है.

1990 में ममता पर हुआ था हमला
अभियोजन पक्ष के अनुसार 16 अगस्‍त, 1990 को मुख्‍य आरोपी आलम ने ममता बनर्जी के सिर पर एक छड़ी से उस वक्‍त वार किया था, जब वह दक्षिण कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग इलाके में रैली कर रही थीं. उस वक्‍त ममता बनर्जी कांग्रेस की नेता थीं. इस हमले से उनके सिर पर फ्रैक्‍चर हुआ था और वह करीब एक महीने तक गंभीर हालत में अस्‍पताल में भर्ती रही थीं.

ममता बनर्जी पर हुए इस हमले के बाद पुलिस और प्रशासन ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था. आलम भी इनमें से एक थे. कई आरोपियों की इस दौरान मौत हो गई. सिर्फ आलम ही आरोपी के रूप में बचे रहे. मामले की जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने अलीपुर कोर्ट में केस की चार्जशीट दायर की और आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया.12 सितंबर, 2019 को बरी हुआ आलम

12 सितंबर, 2019 को लालू आलम को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपों से बरी कर दिया. यह फैसला अतिरिक्‍त जिला जज पुष्‍पल सतपथी ने सुनाया. रिहा होने के एक महीने बाद आलम ने न्‍यूज 18 को बताया, ‘जब भी मैं अपनी पिछली जिंदगी में झांकता हूं तो मुझे दशकों को अंधेरा दिखाई देता है. मैंने मैट्रिक परीक्षा तो पास की लेकिन उच्‍च शिक्षा नहीं प्राप्‍त कर पाया. यह मेरे लिए एक टर्निंग प्‍वाइंट था कि मैंने अपने आपको गलत दिशा में जाते देखा. पूर्व में जो कुछ भी हुआ, मुझे उसका पछतावा है. इसलिए मैंने गरीब बच्‍चों को पढ़ाने और नशे की लत में फंसे युवाओं को वहां से बाहर निकालने का निर्णय लिया.’

‘मुझे यकीन है कि लोग मेरे साथ आएंगे’
आलम ने कहा, ‘सिर्फ शिक्षा ही है, जो बेहतर समाज का निर्माण करती है. मैंने अपनी जिंदगी खुद को शिक्षित ना करके बर्बाद कर दी. मैं नहीं चाहता कि ये बच्‍चे भी अपनी जिंदगी में ऐसा करें. उन्‍हें सिर्फ छोटा सा सहयोग चाहिए. मेरे पास मलिन बस्तियों में रहने वाली बच्चियों के लिए भी कई योजनाएं हैं. मैं उन्‍हें शिक्षा से इतर स्‍वास्‍थ्‍य और हाईजीन के बारे में भी जानकारी दूंगा. मैं जानता हूं कि यह कठिन है लेकिन मुझे यकीन है कि कई लोग इसमें मेरे साथ आएंगे.’

आलम ने बच्‍चों को शिक्षित करने के लिए अपने रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों से भी सहयोग ले रहे हैं. वह उनसे पुरानी किताबें बच्‍चों को देने के लिए कहते हैं. नशे की लत में फंसे बच्‍चों को उस दुनिया से बाहर निकालने के लिए एक डॉक्‍टर और मनोचिकित्‍सक से भी संपर्क में हैं.

ममता के लिए टर्निंग प्‍वाइंट साबित हुआ था हमला
हालांकि 1990 में ममता बनर्जी पर हुआ जानलेवा हमला उनके करियर के लिए टर्निंग प्‍वाइंट साबित हुआ. इस हमले के बाद उनके सपोर्ट में लोगों का समर्थन मिला. हमले के एक साल बाद उन्‍होंने दक्षिण कलकत्‍ता सीट से आम चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी. इसके बाद वह केंद्रीय मंत्री भी बनीं. पिछले कुछ साल में ममता बनर्जी ने आलम को मानवीय आधार पर माफ करने और केस को बंद करने की इच्‍छा भी जाहिर की थी.

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