पहली ही बाजी में हो सकता है संदीप सिंह का राजनीति में शानदार ‘गोल’

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नई दिल्‍ली. अर्जुन अवॉर्डी, ओलिंपियन, कई टूर्नामेंट में विजयी भारतीय टीम के सदस्य और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार. संदीप सिंह (Sandeep Singh) की कहानी रोलर कोस्टर राइड या ट्विस्ट एंड टर्न्स वाली रही है. अब उनका करियर एक नए मुकाम की ओर बढ़ गया है. हरियाणा (Haryana Assembly Elections 2019) की पिहोवा सीट (Pehowa Seat) से संदीप अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. News18 और IPSOS के मुताबिक इस सीट से वो जीत रहे हैं. एग्जिट पोल संदीप सिंह के राजनीति में पहले कदम को कामयाब करार दे रहा है.

कुछ समय पहले उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) की कार्यशैली से लगाव हुआ. धीरे-धीरे उनका झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ हुआ. आखिर में उन्होंने पार्टी ज्‍वाइन करने का फैसला किया. संदीप ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने इंटरव्यू में कहा कि वो भविष्य को ध्यान में रखकर काम करना चाहते हैं. देश के बच्चों यानी भविष्य के लिए काम करना चाहते हैं. बच्चों की पढ़ाई और वो किसी न किसी खेल के साथ जुड़ें, उन्हें वो सुविधा मिले, ऐसा संदीप का सपना है.

2012 में खेले थे ओलिंपिक
संदीप सिंह 2012 के ओलिंपिक में खेले थे. ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कराने में संदीप का बड़ा रोल था. लेकिन संदीप की कहानी खेल और ओलिंपिक से कहीं आगे जाती है. उन पर फिल्म बनी सूरमा, जिसमें दिलजीत दोसांझ ने संदीप का रोल प्ले किया.दरअसल, संदीप का करियर बहुत अच्छी तरह चल रहा था. वो देश के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर बनने की तरफ बढ़ रहे थे, तभी कुछ बदला. 22 अगस्त की सुबह थी. साल था 2006. खबर आई कि एक हॉकी खिलाड़ी को गोली लग गई है. खिलाड़ी का नाम है संदीप सिंह.

ट्रेन में सफर कर रहे थे संदीप
संदीप दिल्ली आ रहे थे. वो शताब्दी एक्सप्रेस में बैठे. सुबह करीब दस बजे ट्रेन दिल्ली पहुंचती है. कोच नंबर सी 8 में संदीप सिंह और राजपाल सिंह बैठे थे. संदीप अंबाला से ट्रेन में बैठे थे, जो जगह उनके घर शाहबाद के करीब है. उन्हें जर्मनी जाना था, जहां वर्ल्ड कप खेला जाना था. उसी कोच में आरपीएफ के एएसआई मोहर सिंह थे. कुरुक्षेत्र के पास ट्रेन पहुंची, तभी तेज आवाज हुई. इसी के साथ लोगों ने संदीप को अपनी सीट से गिरते देखा.

चंडीगढ़ में हुई 3 घंटे सर्जरी
मोहर सिंह उसी महीने रिटायर होने वाले थे. वो पीछे की सीट पर बैठे थे. गलती से उनसे ट्रिगर दब गया. गोली सीटों के बीच से होती हुई संदीप के दाएं हिप के आसपास लगी. राजपाल सिंह ने उस वक्त बताया था कि तेज आवाज के बाद जब बगल में देखा, तो संदीप के कमर की दाईं ओर से खून बह रहा था. मोहर सिंह की वो गलती भारतीय खेलों को बहुत भारी पड़ी.

ड्रैग फ्लिक एक्सपर्ट संदीप सिंह के लिए वो वर्ल्ड कप खेलना तो अंसभव था. वो कभी हॉकी में वापसी कर पाएंगे, इस पर भी सवाल था. चंडीगढ़ में उनकी तीन घंटे की सर्जरी हुई. डॉक्टर्स ने माना कि दुर्भाग्य के साथ सौभाग्य भी रहा. अगर गोली नर्व्स तक जाती, तो पैरालिसिस हो सकता था.

2012 के बाद ढलता गया संदीप का करियर
संदीप ने वापसी की. यहां तक कि जिस सुल्तान अजलन शाह कप टूर्नामेंट के लिए वापसी की, उसमें टॉप स्कोरर रहे. ओलिंपिक क्वालिफायर में भी 16 गोल के साथ टॉप स्कोरर थे. 2012 ओलिंपिक में भारत का प्रदर्शन खराब रहा. इसके साथ ही संदीप का करियर ढलता चला गया. उन्होंने अपनी नौकरी पर ध्यान दिया. वो डीएसपी हो गए. उन्होंने इस बीच हॉकी एकेडमी शुरू करने जैसी बातें कीं और अब वो राजनीति में हैं.

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