
वैज्ञानिकों ने एक रहस्यमय धड़कन जैसी आवाज का पता लगाया है. जो हर 26 सेकंड में सुनाई पड़ती है. (सांकेतिक फोटो, AP News)
फिर 1980 में, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (U.S. Geological Survey) के एक भूवैज्ञानिक गैरी होलकोम्ब ने भी रहस्यमय धड़कन (mysterious pulse) को सुना. उन्होंने पाया कि यह तूफानों (storms) के दौरान काफी तेज थी. लेकिन कई वजहों से, इन दो शोधकर्ताओं (researcher) की खोज लगभग दो दशकों तक अज्ञात रही.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 12, 2020, 9:02 PM IST
फिर 1980 में, अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (U.S. Geological Survey) के एक भूवैज्ञानिक गैरी होलकोम्ब ने भी रहस्यमय धड़कन (mysterious pulse) को सुना. उन्होंने पाया कि यह तूफानों (storms) के दौरान काफी तेज थी. लेकिन कई वजहों से, इन दो शोधकर्ताओं (researcher) की खोज लगभग दो दशकों तक अज्ञात रही. यह फिर प्रकाश में तभी आई जब कोलोराडो विश्वविद्यालय (University of Colorado) से ग्रेजुएट एक स्टूडेंट बोल्डर ने एक बार फिर “दिल की धड़कन” का पता लगाया और इस पर शोध करने का फैसला किया.
महाद्वीपों के तट पर लहरों का लड़ना हो सकता है वजह
कोलोराडो विश्वविद्यालय के एक भूकंप विज्ञानी माइक रिट्जवोलर ने हाल ही में डिस्कवर पत्रिका को बताया कि जैसे ही उन्होंने तत्कालीन कोलोराडो ग्रेजुएट ग्रेग बेन्सेन के आंकड़ों पर नजर डाली तो उन्हें और शोधकर्ता निकोलाई शापिरो को पता चला कि धड़कन जैसी गतिविधि में कुछ अजीब है. वे काम पर लग गये और हर संभव नज़रिये से इन तरंगों का विश्लेषण करके, डेटा का विश्लेषण करके, उन्होंने उपकरणों से जांच करके तरंगों के स्रोत को अफ्रीका के पश्चिमी तट से दूर गिनी की खाड़ी में एक स्थान को पाया.माइक रिट्जवोलर और उनकी टीम ने भी ओलिवर और होल्कोम्ब के शोध पर और गहराई से काम किया और 2006 में इस रहस्यमयी तरंग पर एक अध्ययन प्रकाशित किया. लेकिन वे फिर भी यह समझाने में सक्षम नहीं थे कि यह वास्तव में क्या था. एक सिद्धांत का दावा है कि यह लहरों के कारण होता है, जबकि दूसरा कहता है कि यह क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधि के कारण है, लेकिन अभी तक यह सही साबित नहीं हुआ है.
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वेव थ्योरी 2011 में प्रकाशित हुई थी. जब सेंट लुइस के वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्टूडेंट गेरेट यूलर ने तरंगों की उत्पत्ति को गिनी की खाड़ी के एक हिस्से बाइट ऑफ बोनी से आते हुए बताया. उन्होंने यह भी कहा कि जब लहरें महाद्वीपीय तटों से टकराती हैं तो इसका दबाव समुद्र तल में भूकंपीय विकृति का कारण बनता है, जिससे तरंगों का लहर पैटर्न को दिखता है. हालांकि इस पर अब भी स्पष्टता से कुछ नहीं कहा जा सकता.