एक तरफ, मैक्रों ‘सेक्युलर’ कल्चर को यूरोप की आत्मा करार दे रहे हैं और इसी सेक्युलरिज़्म के नाम पर खास तौर से फ्रांस के मुसलमानों को कई तरह के लेक्चर भी दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ, इस्लाम के जानकार और पैरोकार इस्लाम की वकालत में इस ‘सेक्युलरिज़्म’ को दिखावा और प्रोपैगेंडा बता रहे हैं. इस बहस के बीच आपको बताते हैं कि सेक्युलर स्टेट क्या होता है और दुनिया में कहां धर्मनिरपेक्ष राज्य की व्यवस्था है और किस तरह.
ये भी पढ़ें :- बिहार चुनाव का क्या है अमेरिका चुनाव से कनेक्शन?
क्या होता है सेक्युलर स्टेट?वो देश जहां शासन को धर्म से अलग रखा जाता है, उसे सेक्युलर स्टेट कहते हैं. इसे और बेहतर ढंग से ऐसे समझा जाता है कि ऐसे देश में धर्म के नाम पर पक्षपात नहीं होता यानी कानून और न्याय धर्म के लिहाज़ से नहीं चलता. दूसरी बात यह भी अहम है कि सेक्युलर देश का मतलब धार्मिक पाबंदी से नहीं है बल्कि सभी धर्मों को समान रूप से अधिकार और अवसर देने से है.

फ्रेंच राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं.
सेक्युलर देश में धर्म की वास्तविक स्वतंत्रता होती है. एक सेक्युलर देश की स्थापना या गठन धर्म के आधार पर बने कानूनों या नीतियों के चलते नहीं होता. लेकिन अपनी स्थापना के बाद भी देश सेक्युलर बन सकते हैं. जैसे फ्रांस ने धर्म को राज्य से अलग कर खुद को एक सेक्युलर देश के तौर पर विकसित किया.
कौन से देश हैं सेक्युलर?
कुछ समय तक पहले जो रिपोर्ट्स इस बारे में चर्चित रहीं, उनके मुताबिक दुनिया में 96 देश सेक्युलर स्टेट हैं. अफ्रीका में 27 और यूरोप में ऐसे देशों की तादाद सबसे ज़्यादा 33 है. इनके अलावा एशिया में 20 सेक्युलर देश हैं जबकि दक्षिण अमेरिका में सात. महासागरीय देशों में सबसे कम सेक्युलर राज्य हैं जबकि उत्तरी अमेरिका में यूएस को मिलाकर 5 देश सेक्युलर हैं.
ये भी पढ़ें :- लालू-राबड़ी के ‘जंगल राज’ पर फोकस करने का एनडीए का दांव क्यों हो सकता है फेल?
यूके एक अलग उदाहरण है
जी हां, यूके को सेक्युलर राज्य माना जाता है क्योंकि वहां नीतियां कुछ इस प्रकार की रही हैं. इसके बावजूद 17वीं सदी में हुई एक व्यवस्था के तहत यूके का संविधान चर्च की रक्षा के लिए स्टेट के प्रमुख को शपथ दिलवाता है. इस व्यवस्था के चलते बहस रही है कि यूके को सेक्युलर देश माना जाए या धार्मिक. यूके के बाद फ्रांस के उदाहरण को भी समझना अहम है.
फ्रांस के सेक्युलरिज़्म का मतलब
धर्मनिरपेक्षता की जड़ें फ्रांसीसी क्रांति में हैं. जब तीसरे फ्रेंच गणतंत्र के विकास की शुरूआत हुई और फ्रांस की सत्ता का नियंत्रण रिपब्लिकन के हाथ में आया था, तब ‘लैसाइट’ शब्द का इस्तेमाल हुआ. 19वीं सदी के आखिर में पब्लिक संस्थाओं, स्कूलों आदि को कैथोलिक चर्च के चंगुल से मुक्त किए जाने के अर्थ में लैसाइट शब्द का प्रयोग हुआ था. यह धर्मनिरपेक्षता की शुरूआत का आंदोलन था.

सेक्युलर देश होने के बावजूद फ्रांस में धर्म के आधार पर कानून या नीतियों पर प्रश्न लगे हैं.
मौजूदा हालात में फ्रांस की कई नीतियों पर इस लैसाइट सिद्धांत की छाप दिखती है. अब आलम यह है कि अपवाद को छोड़कर अगर किसी धर्म को प्रश्रय दिया जाता है, तो फ्रांस की सरकार को कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है. हालांकि फ्रांस में धार्मिक संस्थाओं, संगठनों और प्रैक्टिसों को लेकर पाबंदी नहीं है, जब तक यह राज्य के ढांचे या कानूनी व्यवस्था को कोई चुनौती पेश न करे. 1958 में फ्रांस के संविधान में उल्लेख रहा :

लेकिन ताज़ा बहस यह भी है कि क्या फ्रांस में वाकई सेक्युलरिज़्म है या यह सिर्फ एक प्रोपैगेंडा बनकर रह गया है. फ्रांस में मुस्लिम महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर नकाब पहनने पर पाबंदी लगाए जाने जैसे कानूनों के कारण यहां सेक्युलर स्टेट की छवि पर सवाल उठते रहे हैं. दूसरी ओर, मुस्लिमों के अलावा, यहां यहूदियों के खिलाफ भी पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं. ताज़ा विवाद के बाद फ्रांस की सेक्युलर छवि पर बहस नए सिरे से चल रही है.
ये भी पढ़ें :- सबसे कम वक्त के लिए बिहार का सीएम कौन रहा?
पहले कौन से देश रहे सेक्युलर
फ्रांस ऐसा देश रहा, जो पहले धार्मिक देश था, बाद में सेक्युलर स्टेट के तौर पर डेवलप हुआ. ऐसे भी देश हैं जो पहले सेक्युलर थे, लेकिन बाद में धर्म आधारित हो गए. उदाहरण के तौर पर ईरान और इराक. 1925 में ईरान ने खुद को सेक्युलर देश के तौर पर स्थापित किया था, लेकिन 1979 के इस्लामिक क्रांति के बाद इस्लाम राज्य का धर्म घोषित कर दिया गया. इसी तरह इराक भी 1925 में सेक्युलर देश था लेकिन 2005 में संविधान के तहत यह भी इस्लामिक देश बन गया.
ये भी पढ़ें :- क्या होती है त्रिशंकु विधानसभा, क्या वाकई बिहार में इस बार हैं आसार?
वो देश जिनके विचार स्पष्ट नहीं
कुछ ऐसे देश भी हैं, जो खुद को कहते तो सेक्युलर हैं, लेकिन उनकी नीतियां या कानून सेक्युलरिज़्म की भावना के मुताबिक नज़र नहीं आते. आर्मेनिया ऐसे देशों का बड़ा उदाहरण है. यह देश खुद को सेक्युलर कहता है लेकिन चर्च को इसने नेशनल चर्च घोषित कर रखा है. इसी तरह नॉर्वे सेक्युलर घोषणा के बावजूद कहता है कि राजा का नॉर्वे चर्च का सदस्य होना ज़रूरी है. फिनलैंड, अर्जेंटीना, जॉर्जिया, रोमानिया, इज़रायल, बांग्लादेश, म्यांमार, लेबनान, इंडोनेशिया और मलेशिया इस श्रेणी के कुछ प्रमुख देश हैं.